
प्रयागराज,जशपुर/ उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट से बड़ी खबर आ रही है। खबर यह है कि उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का यह बड़ा फैसला चर्चा का विषय बन गया है।
उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की जज न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान का यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक ही मामले में दो FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं, जो कि कानून का एक बुनियादी सिद्धांत है।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि एक ही मामले में दो अलग-अलग कथन या सबूत हों, तो उस स्थिति में दो FIR दर्ज की जा सकती हैं। यह निर्णय विभिन्न दृष्टिकोणों से घटनाओं को समझने और न्याय को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि न्यायालय में दी गई जानकारी और सबूतों की गंभीरता को ध्यान में रखा जाएगा।
इस तरह के फैसले से कानून की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलता है, और यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ितों को न्याय मिले।
फैसले में कहा गया है कि यदि पहले से दर्ज FIR के विपरीत नए सबूत, नए गवाह तथा नई जानकारी सामने आती है तो यह जरूरी हो जाता है कि एक ही मामले में दूसरी एफआईआर भी दर्ज की जाए। फैसले में कहा गया है कि FIR कोई अंतिम निर्णय नहीं होता है। FIR केवल प्रथम सूचना रिपोर्ट होती है। प्रथम सूचना रिपोर्ट का मतलब यह होता है कि घटना के विषय में जानकारी देते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

जानें पूरा मामला
उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने जिस मामले में यह बड़ा फैसला सुनाया है। वह मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का मामला है। मथुरा की रहने वाली संगीता मिश्रा ने उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने संगीता मिश्रा के विरूद्ध उसके पति की हत्या की FIR दर्ज करके उसे जेल भेज दिया था। याचिका में कहा गया है कि उसके विरूद्ध दर्ज FIR झूठी है। उसने मथुरा के CJM की अदालत में अपने पति की हत्या के मामले में नई FIR दर्ज करने के लिए धारा-156 (3) के तहत प्रार्थना-पत्र दाखिल किया था। उसका प्रार्थना-पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि एक ही मामले में दो एफआईआर नहीं हो सकती। संगीता मिश्रा ने बताया कि उसकी तथा उसके पति की जानकारी के बिना उसके ससुर ने प्रोपर्टी का बंटवारा कर दिया था। प्रोपर्टी के बंटवारे के कारण भाईयों में विवाद हो गया। इसी दौरान 3 मई 2020 को उसके पति के भाई उसके पति को अपने साथ ले गए थे। भाईयों के साथ जाने के बाद से उसके पति वापस नहीं लौटो। उसने इस आशय की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने संगीता मिश्रा को ही पति की हत्या का दोषी मानकर FIR दर्ज करते हुए उसे जेल भेज दिया। जेल से बाहर आने के बाद उसने अपने पति की हत्या तथा अपहरण की FIR लिखवाने के लिए धारा-156 (3) में प्रार्थना-पत्र दाखिल किया। उसका प्रार्थना-पत्र यह कहते हुए रदद कर दिया गया कि एक मामले में दो FIR नहीं हो सकती।
उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने स्पष्ट किया कि एक ही मामले में दो FIR होने का सामान्य नियम नहीं है, लेकिन जब नए सबूत, गवाह या जानकारी सामने आती है, तो दूसरी FIR दर्ज करने की अनुमति दी जा सकती है।
इस निर्णय के तहत, मथुरा के CJM को निर्देश दिया गया है कि संगीता मिश्रा की धारा-156(3) की अर्जी पर तुरंत कार्रवाई करें और दूसरी FIR दर्ज कराएं। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया में नई जानकारी के आधार पर उचित कार्रवाई करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
कानून के जानकारों का मानना है कि यह फैसला न्यायालयों में FIR की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और लचीला बनाने में सहायक होगा। यह संभावित रूप से अन्य मामलों में भी एक मिसाल कायम करेगा, जहां नई जानकारी के आधार पर न्याय की प्राप्ति के लिए FIR दर्ज की जा सकती है। इस प्रकार, यह फैसला न केवल संगीता मिश्रा के लिए बल्कि पूरे न्यायिक प्रणाली के लिए एक सकारात्मक दिशा में कदम है।