*मैसूर और बस्तर के दशहरा के बाद क्यों प्रसिद्ध है जशपुर का दशहरा……..? पढ़िए जशपुर का रियासत कालीन दशहरा उत्सव की कुछ विशेष परंपराएं…*

 

जशपुरनगर। रियासतकालीन परंपरा के अनुसार मनाए जा रहे जशपुर दशहरे की कई विशेषताएं हैं। जशपुर में दशहरे के दिन सिर्फ रावण का पुतला दहन नहीं होता, बल्कि पूरी लंका दहन की जाती है। इस लंका में रावण के साथ मेघनाथ, कुंभकर्ण और अहिरावण का पुतला होता है। दहन से पहले ही कुछ टोटकों पर विश्वास कर लोग रावण के पुतले को ही नोच ले जाते हैं। दहन तक चारों पुतलों का सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही बचा होता है।

रावण दहन की रियासतकालीन परंपरा के निर्वहन के लिए रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ और अहिरावण का पुतला रैनीडांड़ (हाईस्कूल ग्राउंड) में बनाया गया है। वहीं – रणजीता स्टेडियम ग्राउंड में करीब 60 फीट का विशालकाय रावण • अलग से बनाया जाता है। रैनीडांड़ में बनी लंका के दहन से पहले भगवान बालाजी के रथ से संदेश लेकर हनुमान जी लंका तक जाते हैं। इसके बाद वह वापस भगवान की रथ में आते हैं। इसके बाद भगवान बालाजी के आदेश से कृत्रिम लंका में बने चारों पुतलों का दहन होता है ।इससे पहले दोपहर 3 :00 बजे भगवान बालाजी मंदिर से चार रथ निकलती हैं। भगवान बालाजी को लकड़ी के रथ पर विराजमान किया -जाएगा। इस रथ को श्रद्धालु खींचते हुए रणजीता स्टेडियम ग्राउंड तक पहुंचेंगे।

*भगवान बालाजी के स्थ से राजा उड़ाएंगे नीलकंठ*

अपराजिता पूजा के बाद भगवान बालाजी के रथ से राजा नीलकंठ पक्षी उड़ाएंगे।
यह नीलकंठ पक्षी हर साल एक बैगा परिवार द्वारा पकड़कर बालाजी मंदिर में पहुंचाया जाता है। दशहरे के दिन – नीलकंठ पक्षी देखना शुभ माना – गया है। ऐसी मान्यता है प्राण त्यागने से पहले रावण ने हनुमान के वास्तविक रूप में पहचान लिया था और हनुमान ने शिव के नीलकंठ रूप में दर्शन दिए थे। नीलकंठ पक्षी किस दिशा में उड़ेगा इसपर भी सबकी नजर रहती है।

*रावण दहन के बाद होगी देवी अपराजिता की पूजा*

रावण दहन के बाद हाईस्कूल के पास बने मंच पर देवी अपराजिता की पूजा की जाएगी। इस पूजा में राजपरिवार के सदस्य एवम पुरोहित बैठते हैं। पूजा पुस्तकाचार्य, राजपुरोहित सम्पन्न कराएंगे। राजपुरोहित विनोद मिश्रा ने बताया कि भगवान राम ने रावण वध के बाद देवी अपराजिता की पूजा की थी। इसलिए दशहरे में भी रावण दहन के बाद पूजा की जाती है।*

जानिए क्यों पुतले को नोंचकर ले जाते हैं लोग*

रावण अत्यंत बुद्धिमानी ब्राहम्ण था और कई सिद्धियां उसने अर्जित की थी। इसे लेकर क्षेत्र में कई तरह की बातें जुड़ी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रावण के पुतले का एक अंश भी घर पर रखने से घर पर बुरी शक्तियों का असर नहीं पड़ता है। नकारात्मक उर्जा नहीं आती है। वहीं कुछ लोगों का मानना यह भी है कि यदि किसी स्थान पर जीत हासिल करनी है तो अपने साथ रावण के पुतले का अंश रखना चाहिए। जो कोर्ट कचहरी के चक्कर काट-काटकर थक चुके होते हैं, वे पुतले का एक तिनका प्राप्त करने के लिए मशक्कत करते हुए दिखते हैं।